सत्संग इवेंट बन गए है
सत्संग संध्या
एक समय था जब सत्संग संध्या होती थी,
बैठते थे लोग प्रेम से,
सुनते थे ज्ञान का संदेश,
मन को मिलता था शांति का अनुभव।
लेकिन आज समय बदल गया है,
सत्संग संध्या अब इवेंट बन गई है,
लोग आते हैं बस दिखाने के लिए,
ज्ञान प्राप्त करने की चाह नहीं है।
सत्संग संध्या में अब केवल भजन गायन होता है,
और प्रवचन के नाम पर केवल भाषण दिया जाता है,
लोगों का मन नहीं लगता है,
और वे उठकर चले जाते हैं।
सत्संग संध्या का सच्चा अर्थ खो गया है,
यह अब केवल एक दिखावा बन गया है,
अगर हम सत्संग संध्या का वास्तविक अर्थ समझें,
तो हमारे जीवन में सच्ची शांति आ सकती है।
सत्संग संध्या का वास्तविक अर्थ
सत्संग संध्या का वास्तविक अर्थ है,
ज्ञान का सार प्राप्त करना,
और उस ज्ञान को जीवन में उतारना,
ताकि हम अपने जीवन को सुखी और शांतिपूर्ण बना सकें।
सत्संग संध्या में हमें केवल भजन गायन नहीं करना चाहिए,
बल्कि प्रवचन को ध्यान से सुनना चाहिए,
और उसमें बताए गए ज्ञान को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करना चाहिए।
सत्संग संध्या में हमें केवल दिखावा नहीं करना चाहिए,
बल्कि सच्चे मन से ज्ञान प्राप्त करने की इच्छा रखनी चाहिए,
तो ही हम सत्संग संध्या का वास्तविक लाभ प्राप्त कर सकते हैं।