सत्य
” सत्य ”
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माना कि…..
निराकार है !
अनिर्वचनीय है !
अदृश्य है “सत्य” |
लेकिन सत्य ही
सच है………..
क्यों कि ?
सत्य यम है !
सत्य ही नियम है |
सत्य आयाम है !
सत्य ही प्राणायाम है |
सत्य योग है !
सत्य ही खोज है |
सत्य ध्यान है !
सत्य ही प्राण है |
सत्य मनन है !
सत्य ही चमन है |
सत्य धुन है !
सत्य ही सद्गुण है |
सत्य अक्षर है !
सत्य ही ईश्वर है |
सत्य अजर है !
सत्य ही अमर है |
सत्य गीत है !
सत्य ही जीत है |
सत्य नीति है !
सत्य ही प्रीति है |
सत्य चरित्र है !
सत्य ही पवित्र है |
सत्य एक है !
सत्य ही विवेक है |
सत्य आचार्य है !
सत्य ही अनिवार्य है |
तभी तो…………
सत्य सत्य है |
और सत्य ही अमृत्य है ||
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— डॉ० प्रदीप कुमार “दीप”