सत्य
वो कभी नहीं बदलेगा, वो कभी नहीं हारेगा, चाहे कितनी भी कोशिश कर लो, वो नहीं डरेगा , वो सत्य है वो कभी नहीं छुपेगा।
फिर क्यों झूठ प्रपंच में पड़ता है मानव ।
धर्म और कर्म अलग है ,यहां सबके मगर मालिक सबका एक है जो सत्य की राह पर चलता है वही उसका कहलाता है मानव । छल कपट को अपनाकर, फिर मंदिर मस्जिद जाकर क्यों ढोंग करता है ,
जीवन के सफर की तरह मौत का सफर भी लंबा है जिसमें सत्य ही साथ चलता है मानव ।
फिर क्यों जिंदा रहने के लिए पाप करता है मानव ,
आत्मा को कष्ट क्यों देता है मानव ।
शरीर तो मिट्टी में मिल जाएगा ,मोक्ष तो आत्मा ही पाती है मानव ।