* सत्य पथ पर *
** गीतिका **
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बेकरारी में नहीं अब हाथ मलना चाहिए।
जब जमाने में सभी को साथ चलना चाहिए।
सत्य पथ पर कष्ट होंगे सब करेंगे हम सहन।
अब स्वयं को बेवजह बिल्कुल न छलना चाहिए।
जब निराशा का तमस हो सामने पसरा हुआ।
दीप आशा का हृदय में खूब जलना चाहिए।
अब बना कर ही रखेंगे हम धरा का संतुलन।
बाढ़ का खतरा यहां हर हाल टलना चाहिए।
राजनेता स्वार्थ तज कर राष्ट्र की सेवा करें।
अब किसी को वोट की खातिर न छलना चाहिए।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य