सत्य की खोज
सच ,यानी सत्य
क्या सच में ,
आजकल के आधुनिक युग में
सब सच सुनना पसंद करते हैं….
शायद यही एक कटु सत्य है कि
जो अपनी बात को बना कर …
या सज़ा कर पेश करते हैं
सभी उन लोगों से प्रभावित होते है
और जो बनावटी पन से दूर होते हैं
उनकी किसी भी बात को
गभीरता से नहीं लिया जाता और
अगर मैं गलत नहीं तो उस सच्चे इन्सान को
अपनी सत्यता साबित करने के लिए
सबूत पेश करने होते हैं
क्या सच मे सच साबित करने के लिये
हमेशा ही साबित करना होगा
और झूठ को लोग बिना सोचे समझे
सच मानते रहेगें?????