सत्य की खोज
जीवन के इस चक्र में मनुष्य दिन रात दौड़ लगा रहा है। आधुनिक जीवनशैली में भागदौड़ भरी जिंदगी में उसका जीवन मशीन की भांति हो गया है। जीवन यापन करने के लिए अभिलाषाओं के महासागर में नित डुबकी लगाता है। मंजिल तराश करता सुबह से शाम तक व्यस्त रहने वाला व्यक्ति सत्य से अनभिज्ञ हैं।
उसे पता ही नहीं कि वह आवश्यकता की पूर्ति के लिए भाग रहा है या अभेद्य मन के बुने जाल में फंसे किसी पंछी की तरह फड़फड़ा रहा है। बाहरी लालसा में फंसकर भीतर के सुख से दूर चला जा रहा है। बाहरी चकाचौंध और खुबसूरत दुनिया की भीड़ में राह भटके राहीं की तरह सत्य से अपरिचित हैं।
ईश्वर द्वारा बनाई गई सुन्दर और सरल दुनिया में हर जगह सुख का आभास है। आकाश, ब्रह्माण्ड, धरती ,पर्वत, पहाड़ नदियां पेड़ पौधे पक्षी आदि ईश्वर द्वारा बनाई गई अद्वितीय रचना है
तथा इन सब जगहों पर असीम सुख और शांति का आभास होता है।
शान्त मन से एकान्त में बैठकर अपने हृदय के कपाट खोल कर बिताया गया समय सत्य की अनुभूति कराता है। मन के कपाट बंद कर बैठा अज्ञानी मनुष्य आत्मा के द्वार पर ताला लगा कर बाहर की दुनिया में खो गया है। सत्य आत्मा का शुद्ध रूप है। सत्य की व्याख्या करना सरल नहीं है सत्य के कई पहलू है। और प्रत्येक पहलू का अपना अलग महत्व है। सत्य इतिहास से लेकर आज तक मानव सभ्यता का हिस्सा है। सत्य को दबाया जा सकता है मगर मिटाना नामुमकिन है। सत्य अटल है। अकेला विश्वास के साथ खड़ा हैं न कोई प्रहरी रक्षक क्योंकि सत्य स्वयं सिद्ध है एकछत्र स्वामी है। सत्य शाश्वत है इस प्रकार कहे तो सत्य सनातन शास्वत सहज सुन्दर है ।और इस दुनिया में एक आशावादी किरण है। जो मनुष्य के लिए सफलता प्राप्ति के साधन उपलब्ध कराता है। उलझन भरी जिंदगी सुलझा कर कार्य सिद्ध करने वाली जादुई छड़ी है। इस प्रकार सत्य विकास के मार्ग पर ले जाने वाली गाड़ी है।
सत्य को किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं है। स्वयं सिद्ध है।