“सत्य का बोध”
नही पता था मुझको अबतक, कुछ ऐसा हो जाता है।
कभी नही सोचा जीवन मे, जब वो आगे आता है।
जीवन के कुछ मोड़ो पर, दिल भी अस्क बहाता है।
जब जीवन की पुस्तक में, काला पन्ना जुड़ जाता है।
दिल का दर्द निकालू कैसे, कोई नही समझता है।
तब कोई अपना ही आकर, मार्ग नया दिखलाता है।
नही पता था मुझको अबतक, कुछ ऐसा हो जाता है-२
©प्रशान्त तिवारी”अभिराम”