सत्युक्ति
जहाँ ज्ञान वहाँ गुरू है,
जहाँ धुंध वहाँ आग,
जहाँ जीवन वहाँ नीर है,
जहाँ जीव वहाँ मात,
भले दिखाई पड़े नहीं,
किन्तु सत्य सौगात – – – -क्रमशः
उमा झा
जय माता काली!
जहाँ ज्ञान वहाँ गुरू है,
जहाँ धुंध वहाँ आग,
जहाँ जीवन वहाँ नीर है,
जहाँ जीव वहाँ मात,
भले दिखाई पड़े नहीं,
किन्तु सत्य सौगात – – – -क्रमशः
उमा झा
जय माता काली!