“ सत्यम ,शिवम ,सुंदरम “
“ सत्यम ,शिवम ,सुंदरम “
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
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कान मेरे दुखने लगे
किसी ने कहा
तुम ऐसे लिखो ,
किसी ने जोर दिया
कहानियों में
नायक नायिका का प्रेमालाप लिखो !!
अपनी लेखनी में
शृंगारों का लेप करो ,
रस अलंकार और शब्दों से तिलक करो !!
और विषयों को लोग
दरकिनार समय के साथ कर देते हैं !
पर प्रेम के खिस्से
युग युग में अपना रूप बदलते रहते हैं !!
राजनीति समालोचना
विवादों के घेरे में ही
घूमती रहती है !
इसकी ज्वाला की लपेटों में
सारी दुनियाँ जल जाती है !!
हम तो हैं बस सीधे- साधे
सहजता में बातों को कहते हैं !
शिष्टाचार सरल भाषा में लोगों को समझाते हैं !!
कभी कविता ,
कभी लेखों में
सरस बातें मैं करता हूँ !!
सत्यम शिवम सुंदरम के मंत्रों को
जीवन भर मैं जपता हूँ !!
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डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
साउन्ड हेल्थ क्लिनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका