” सत्यम शिवम् सुन्दरम “
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
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हम उन तमाम व्यक्तिओं का अभिनंदन करते हैं जिनके लेखनिओं से हमें आत्मसंतुष्टि मिलती है ! कुछ दिग्गज ,कुछ श्रेष्ट अनुभवी और कुछ युवा लेखक अपनी रचनाओं की फुहारों से हमें नहलाते रहते हैं ! हमें गर्व होता है कि इन लोगों के साथ हम भी हैं ! यदाकदा हमें ऐसी रचनाएँ पदने को मिल जाती हैं जिसके एक -एक शब्द ह्रदय को छू लेते हैं ! भाव भंगिमा मन मोह लेता है ! विषयों का चयन भी आकर्षक होता है ! यह तो मानना होगा कि सब के सब एक जैसे हो नहीं सकते !अंदाज अपना -अपना पसंद अपनी -अपनी ! कोई संक्षिप्त छंदों में बहुत कुछ कह देते हैं ! हमारे लेखनी का मंत्र ‘सत्यम शिवम् सुन्दरम ‘ है ! हम जब भी शालीनता ,मृदुलता और शिष्टाचार को लांघने का प्रयास करेंगे तो शायद ही हमारी लेखनी निखर पायेगी ! कभी -कभी टाइप करते हुए हम गल्ती कर बैठते हैं और उसे जल्दी में पोस्ट कर देते हैं ! यही हमें चुभने लगती है ! हमारे लेखों और कृतिओं को सारा विश्व पढता है…… ! ” बस एकबार चलना प्रारंभ कीजिये रस्ते खुद बन जायेंगे “!…..समस्त लेखकों और मित्रों को मेरा नमन !
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डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
दुमका