सत्यता
************** दोहे **************
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ईश्वर सबका एक है, सुना यही हरबार।
फिर भी ईश के नाम पर, हर दिन हैं तकरार।।
गबन घोटाले चल रहा, विलख रहा है देश।
पैसा लूटे जन – जन का. भेज रहा परदेश।।
आरक्षण विषवेल है, काट सके तो काट।
जो ऐसे सोता रहा, खड़ी रहेगी खांट।।
कभी बुराई करो नहीं, करो भले का काम।
भला करे फल पायेगा, अमर रहेगा नाम।।
मात पिता भगवान हैं, जग में ईश का रूप।
पत्थर को त़ू मान रहा, ईश्वर का स्वरुप।।
पाथर पुजत युग गया, मिले नहीं श्री राम।
जो माँ की सेवा करे, बनेंगे बीगड़े काम।।
भक्ति में शक्ति बड़ी, हनुमत हैं प्रमाण।
जो मन से भक्ति करे, मिले जगत सम्मान।।
भ्रष्टाचार का जोर है, भ्रष्टाचारी मस्त।
भ्रष्ट तन्त्र के सामने, नैतिकता है पस्त।।
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©®पं.संजीव शुक्ल “सचिन”