*सत्पथ पर चलना सिखलाते, अग्रसेन भगवान (गीत)*
सत्पथ पर चलना सिखलाते, अग्रसेन भगवान (गीत)
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सत्पथ पर चलना सिखलाते, अग्रसेन भगवान
1)
देवलोक से बढ़ अग्रोहा, सुंदर नगर बसाया
भेदभाव से रहित वहॉं पर, सबको गले लगाया
रचे अठारह गोत्र अलौकिक, दे समान सम्मान
2)
हृदय भरा था ममता-मूलक, आप अहिंसा-साधक
प्रथा मिटा दी पशुबलि वाली, हुआ न कोई बाधक
नहीं यज्ञ में होता है अब, पशुओं का बलिदान
3)
एक ईंट-रुपए की अद्भुत, समता-रीति चलाई
नहीं रहा अग्रोहा में यों, निर्धन कोई भाई
सबको दिया मकान आपने, आजीविका प्रदान
सत्पथ पर चलना सिखलाते, अग्रसेन भगवान
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश 244901
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