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30 May 2024 · 1 min read

सत्ता

सत्ता
जूते अब चुभने लगे हैं जगह -जगह पैरों में छाले उभर गए हैं चलना अब दूभर हो गया है सारा बोझ पैरों पर ही पड़ने लगा है अब रास्ता परिवर्तनका आ गया विकल्प नज़रों के सामने आ गया चमकते जूते को भला रखकर हमें क्या करना हमें भला इसकी आकृतियों में क्यों उलझना अपने भविष्य को हम खुद सुधारेंगे इस चमकते जूते को उतार कर दूर फेंकेंगे !! @परिमल

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