सत्ता परिवर्तन
लघुकथा
शीर्षक – सत्ता परिवर्तन
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शादी के एक साल बाद मायके आयी थी सरला ,
उसकी सहेलियाँ और मौहल्ले की औरते, उसकी कुशलता पूछने, मिलने घर आयी हुई थी,,,
” अरे सरला कैसी है, ससुराल में सब कुशल तो है,, “- मोहल्ले की औरतों ने पूंछा l
” हाँ चाची, सब कुशल हैं” – सरला ने कहा l
” अरी सरला ! सुना है तेरी सास बड़ी खरी है, तूने उसका कुछ किया कि नहीं,,, एक साल हो गई अब तो सत्ता परिवर्तन कर दिया होगा उसका….” – किसी ने कहा l
– ” जैसा आप सब सोचते हो वैसा हम भी सोचते थे चाची, कि सासू माँ बहुत खरी होगी ,,, और हमने सोच भी लिया था कि उनकी तानाशाही खत्म करके रहूंगी लेकिन वो सब गलत साबित हुआ,,,
उनकी ममता, लाड़, दुलार के सामने तो मै अपनी माँ को भी भूल गई,,, उन्होने मुझे बेटी जैसा अपनाया, तो मुझे भी उन्हे अपनी माँ बनाते देर न लगी…. सच में चाची, मै अपनी सासू माँ की सत्ता को परिवर्तन करने चली थी पर उन्होंने तो मेरा मन ही परिवर्तित कर दिया” – सरल ने हंसते हुए कहा।
राघव दुबे
इटावा ( उo प्रo)
84394 01034