सत्कार बुजुर्गो का
कर सत्कार बुजर्गो का, तू आनंद ही आनंद पायेगा।
तेरे सर पर जो हाथ इनका, हाथ ना तू फैलाएगा।
ये छायादार पेड़ खड़े है, इनकी छाया को तू पाले,
रास्ते के कंकड़ हट जाएंगे, पड़े ना पाँव में छाले।
मंजिल भी आएगी करीब, ये रास्ता सिमटता जाएगा।
कर सत्कार बुजुर्गो का, आनंद ही आनंद पायेगा।।
इनका कहना मानकर तू,रखना सीख इनका मान रे।
भगवान से तेरे माँ बाप है, तू कर इनका सम्मान रे।
मन प्रफुल्लित रहेगा तेरा, सुख शांति से तू खायेगा।
कर सत्कार बुजुर्गो का, आनंद ही आनंद पायेगा।।
रख गोदी में सर इनकी, तू स्वर्ग का एहसास करले,
मान”मलिक” तू बात मेरी, इनपर ही जीले और मरले।
अब ना अगर कर्म किया, फिर ये दर्द तुझे बड़ा सताएगा।
कर सत्कार बुजुर्गो का, तू आनंद ही आनंद पायेगा।।
सबसे बड़े है ये दोस्त तेरे, सबसे गहरा ये प्यार है।
इनसे आगे कुछ नही है, ये तेरी जिंदगी का सार है।
कहे “सुषमा” मानले कहना, ये वक़्त फिर ना आएगा।
कर सत्कार बुजुर्गो का, तू आनंद ही आनंद पायेगा।।
सुषमा मलिक
रोहतक (हरियाणा)