” सताओगे कब तक ” !!
इरादे तुम अपने , बताओगे कब तक !
हमें यों ही जालिम , सताओगे कब तक !!
अभी कहने को तो , बहुत कुछ है बाकी !
फसाना ये दिल का , सुनाओगे कब तक !!
हुआ जो हंगामा , सदन में ना भाया !
मुआफी भी जबरन , भुलाओगे कब तक !!
अगर तुमने अपनी , जमीं को ना छोड़ा !
कहानी ये सबको , सुनाओगे कब तक !!
कभी कोई अपनी , गली में ना आया !
सपन सारे सोये , जगाओगे कब तक !!
सदा ताका करते , गगन के सितारे !
धरा पे ये चंदा , बुलाओगे कब तक !!
अभी तक ना भूले , जमाने की फितरत !
निगाहों में मेरी , समाओगे कब तक !!
स्वरचित / रचियता :
बृज व्यास
शाजापुर ( मध्यप्रदेश )