माँ भारती का श्रृंगार
कब तक जंगे जुबानी होगी, देश के वीरों की कुरबानी होगी
कोखे कब तक सुनी होगी ,बालपन पर क्या गुजरती होगी
मांगे कब तक सूनी होगी, बहनो पर क्या गुजरती होगी
अब तो पांचाली की भांति प्रण लेना होगा,भीम प्रतिज्ञा करनी होगी
रण बाकुरो को रण मेंअब तो जाने दो उनको अपना रण कौशल दिखाने दो
एक के बदले दस दस शीश वो लायेंगे, कायरो के रक्त से मां भारती के केशो को धुलवायेंगे
उन पर ऐसा प्रहार करो, भीम गदा भी विस्मृत हो जाये
अर्जुन के गांडीव से भी भीषण टंकार हो जाये, अब समय आ गया उन कातिलों का संहार हो जाये
समय नही है विचारों का, अग्नि पथ पर बढ़ना होगा
अब कुछ न कुछ तो करना होगा, चर्चाओं का दौर गया
अब कलुषित चालों पर प्रहार करे हम
माँ भारती का दुश्मन रक्त से श्रृंगार करे हम