सतरंगी आभा दिखे, धरती से आकाश
सतरंगी आभा दिखे, धरती से आकाश
रूप इंद्र धनुषी लगे, इक दैवीय प्रकाश
इक दैवीय प्रकाश, ज्योति दिव्या मनमोहे
चमकीले हर रंग, करें सम्मोहित तोहे
महावीर कविराय, छटा बिखरी बहुरंगी
कुदरत के सब रंग, दिखे आभा सतरंगी
– महावीर उत्तरांचली