सतनामी राजा
सतनामी राजा
सतनामी राजा
राजा गुरु बालक दास आजा
देख गुरु! तेरे समाज के
साथ
अन्याय ,अत्याचार हो रहा है।
दुश्मनों ने छल करके समाज की छवि धूमिल कर रहा है।
शत्रुओं ने काटी है कइयों
आस्था के प्रतीक जैतखाम,
और कई जलाए है।
अखबार निंदनीय घटनाओं से भर आए है,मानवता शर्मशार हुआ है।
दोषी निर्दोष होकर घूम रहे है
सीधे – साधों पे इल्जाम
लगाए है।
दुश्मनों से नैना मिलाए है।
जिम्मेवार गहरी नींद में सोया
जनता की सुकून,शांति,सौहार्द
खोया
बहुतों ने रात भर रोया
सीधा साधा अपना प्यारा बेटा खोया।
सहा नहीं जाता
रहा नही जाता
ये सब
धार्मिक खिलवाड़
आओ हे राजागुरु
गुरु बालकदास
आप ही सम्भाल;
सेनापति के पदभार।
रचनाकर
S k miri
रायपुर छत्तीसगढ़