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3 Jun 2023 · 1 min read

सतत कर्म ( स्वभाव)

बादल को समझा दे कोई, सागर में बरस के करेगा क्या।
पैदाइश हो अग्निकुंड की, सूरज की तपिश से मरेगा क्या।।
चंदा को समझा दे कोई, चंदन को शीतल करेगा क्या।
धरती सा हो धैर्य धरा जो, आकाशी हलचल करेगा क्या।।
मानव को समझा दे कोई, वो परमारथ कर करेगा क्या।
दिया कष्ट है मात पिता को, औरों का दुख हरेगा क्या।।
पापी को समझा दे कोई, अब मायापति का करेगा क्या।
नख-सिख में हों पाप कर्म, गंगा स्नान से वो तरेगा क्या।।

Language: Hindi
427 Views
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