सड़क जो हाइवे बन गया
टूटी – फूटी बदहाल सी
असंख्य गढ्ढों युक्त
लबालब कीचड़ से भरी
कहीं रेता तो कहीं पत्थर
कहीं सूखा कहीं पानी
साथ लिए बच्चा और बुढ़ापा
बनाती गई नए विश्वास की कहानी ।
कभी जो पगडंडी थी,
फिर खड़ंजा बन गई
मिला जो सहारा पंचायत का
आज वो कंक्रीट के साथ
तारकोल से चुपककर
दुलहन सी सजी
गांव की सड़क बन गई ।
आज जो चली है
बाएं – दाएं मोड़ के साथ
चारों दिशाओं के लिए
जगह – जगह को जोड़ते हुए
सफ़र के मुसाफ़िर को
मंजिल तक पहुंचाते हुए
फिर अनंत की ओर चल पड़ी ।
कभी वो थी टेड़ी – मेड़ी
फिर आया एक आदेश
उखाड़े गए दोनों और खड़े
छोटे और दरख़्त पेड़
फिर चला बुलडोजर
गरीबों के आशियाने पर
और बन गया विकास का हाइवे।