Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Feb 2024 · 1 min read

सड़कों पे डूबते कागज़

मेरी जिंदगी पे गुज़रती सड़कें
भिगो के खुदको सुनाती हैं कितनी ही कहानियां।
जिनमें जीती गयीं हैं वो।
हाँ! लेकिन कबाड़ी के खाली डिब्बे सी हँसती हैं मुझ पर
क्योंकि मैं हार जाता हूँ हर बार
आईने में छिपे इक अशक्त गूंगे बैरी से,
जो मेरे विरोध में न जाने कैसे फुसफुसा देता है,
कि मिट्टी से बना मैं और चाहता हूँ कागज़ों को।
सोचता हूँ कागज़ की नाव नहीं भीगने देगी मेरी मिट्टी को
मैं वो नाव चलाता हूँ उन सड़कों के बहते पानी में भी।
लेकिन भीगने के बाद वह बन जाती है फिर कागज़।
आज फिर कोई कह रहा है कि इन सड़कों पे चलने को
क़दमों के साथ चाहिये कदम – हाथों में हाथ भी।
लेकिन मैं सोच रहा हूँ कि क्यों मानूं यह गरीब सच?

Language: Hindi
79 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*गरमी का मौसम बुरा, खाना तनिक न धूप (कुंडलिया)*
*गरमी का मौसम बुरा, खाना तनिक न धूप (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
!! प्रार्थना !!
!! प्रार्थना !!
Chunnu Lal Gupta
चलो चलाए रेल।
चलो चलाए रेल।
Vedha Singh
महादान
महादान
Dr. Pradeep Kumar Sharma
जो कभी रहते थे दिल के ख्याबानो में
जो कभी रहते थे दिल के ख्याबानो में
shabina. Naaz
याद
याद
Kanchan Khanna
हमेशा फूल दोस्ती
हमेशा फूल दोस्ती
Shweta Soni
जितनी तेजी से चढ़ते हैं
जितनी तेजी से चढ़ते हैं
Dheerja Sharma
लक्ष्य
लक्ष्य
Sanjay ' शून्य'
दर्पण
दर्पण
Kanchan verma
हम किसे के हिज्र में खुदकुशी कर ले
हम किसे के हिज्र में खुदकुशी कर ले
himanshu mittra
♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️
♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️
Dr Archana Gupta
वह कुछ नहीं जानती
वह कुछ नहीं जानती
Bindesh kumar jha
मेरे प्रिय पवनपुत्र हनुमान
मेरे प्रिय पवनपुत्र हनुमान
Anamika Tiwari 'annpurna '
रात
रात
sushil sarna
अगर पुरुष नारी में अपनी प्रेमिका न ढूंढे और उसके शरीर की चाह
अगर पुरुष नारी में अपनी प्रेमिका न ढूंढे और उसके शरीर की चाह
Ranjeet kumar patre
हंस रहा हूं मैं तेरी नजरों को देखकर
हंस रहा हूं मैं तेरी नजरों को देखकर
भरत कुमार सोलंकी
झुकता आसमां
झुकता आसमां
शेखर सिंह
कुछ शब्द
कुछ शब्द
Vivek saswat Shukla
2973.*पूर्णिका*
2973.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
भीतर का तूफान
भीतर का तूफान
Sandeep Pande
सन् २०२३ में,जो घटनाएं पहली बार हुईं
सन् २०२३ में,जो घटनाएं पहली बार हुईं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
हम अरण्यरोदण बेवसी के जालों में उलझते रह गए ! हमें लगता है क
हम अरण्यरोदण बेवसी के जालों में उलझते रह गए ! हमें लगता है क
DrLakshman Jha Parimal
आक्रोश - कहानी
आक्रोश - कहानी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
विभेद दें।
विभेद दें।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
"होगी जीत हमारी"
Dr. Kishan tandon kranti
अर्थी पे मेरे तिरंगा कफ़न हो
अर्थी पे मेरे तिरंगा कफ़न हो
Er.Navaneet R Shandily
संसार की इस भूलभुलैया में, जीवन एक यात्रा है,
संसार की इस भूलभुलैया में, जीवन एक यात्रा है,
पूर्वार्थ
कविता-आ रहे प्रभु राम अयोध्या 🙏
कविता-आ रहे प्रभु राम अयोध्या 🙏
Madhuri Markandy
क़त्आ
क़त्आ
*प्रणय*
Loading...