सज्ज अगर न आज होगा….
सज्ज अगर न आज होगा।
किस तरह फिर काज होगा ?
फिर घिरेगी रात काली,
फिर तमस का राज होगा।
सामना कर मुश्किलों का,
सच ! सभी को नाज होगा।
दुख हरेगा जो जगत के,
सिर उसी के ताज होगा।
चीर बाधा उड़ गया जो,
वो सफल परबाज होगा।
खिलखिलाते बंधु होंगे।
नोचता सर बाज होगा।
क्या अनोखी रात होगी,
क्या अनोखा साज होगा।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र. )