सजनी की चुनावी पहेली ( सुमेरू छंद)
सुमेरू छंद
सजनी की चुनावी पहेली
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सनातन धर्म की जो, नीति थामी ।
जरा इस बात को लो, सोच स्वामी।
अवध में राम की जय, हो रही है।
वहाँ काशी न पल भी, खो रही है।
बची मथुरा दिखे, आगे समैया।
बजायें चैन वंशी ,फिर कन्हैया।
सुरक्षा तुम वतन की, चाहते हो।
भलाई हिंदु जन की, चाहते हो।
नहीं आतंक वाले,मेघ छायें ।
नहीं गुंडे मवाली,जीत पायें।
नहीं गृहणी कहीं ये,रोय रोना।
बहुत मँहगी रसोई, गैस होना।
समस्यायें खड़ी हैं हल निकालो।
धरा अकुला रही है,दृष्टि डालो।
कहीं परदेशियों को, राज सौंपा।
छुरा विश्वास की फिर, पीठ घोंपा।
चुनें उसको रखे जो, देश निष्ठा।
तिरंगे की बढाये, जो प्रतिष्ठा।
अभी तक जो किया है, काम जानो ।
सजन है कौन उसका, नाम जानो।
छंद विधान ÷
सुमेरू छंद 19 मात्राएँ
12/7 या 10/9 पर यति
आदि में लघु अंत में यगण।
अंत में तगण,रगण, जगण,मगण का निषेध है।
पहली, आठवीं, पंद्रहवीं मात्रा लघु होगी।
मापनीयुक्त ÷
1222,1222,122
गुरू सक्सेना
नरसिंहपुर मध्यप्रदेश
19/6/23