सज़ा तुमको तो मिलेगी
सजा तुमको तो मिलेगी, जख्मी मेरे दिल को किया क्यों।
बेवफा तुमको होना था तो, गुमराह हमको किया क्यों।।
सजा तुमको तो मिलेगी——————-।।
दर्द देकर मेरे दिल को, चैन से रह रही हो तुम।
मुझको करके बेघर, महलों में सो रही हो तुम।।
तोड़ना ही था जब मुझको तो, मजा अब तक किया क्यों।
सजा तुमको तो मिलेगी——————-।।
तुम क्यों भूल रही हो, नजरें हमसे ऐसे चुराकर।
मेरी बाँहों में रही हो तुम, दिल यह हमसे लगाकर।।
खता तुम्हारी ही ज्यादा है, मंजूर तुमने नहीं किया क्यों।
सजा तुमको तो मिलेगी———————।।
खाक मेरे ख्वाबों को करके, बैठी हो अब किसी के सँग।
हाँथों में मेहंदी लगाकर तुम, चली हो अब किसी के सँग।।
करना था बर्बाद मुझे तो, तुमने मजाक यह किया क्यों।
सजा तुमको तो मिलेगी——————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)