सजल
सजल
सदा पास रहना नहीं दूर जाना।
दिलेरी दिखाना हृदय को सजाना।
सदा स्नेह का रस बरसता रहे बस।
सुमन बन गमकना सदा मुस्कराना।
तुम्हारे हृदय से बहे प्रेम धारा।
सुरीले स्वरों में सहज गुनगुनाना।
कभी भी न नाराज होना प्रिये तुम।
अगर कष्ट हो तो जरूरी बताना।
तुम्हीं इक ठिकाना तुम्हीं भव्य मंज़िल।
सदा प्रीति के पर्व दिल से मनाना।
काव्य रत्न डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।