सजल
सजल-12221222,1222 1222
रस-करुण रस-
कुपोषित ओर फटेहाल बच्चा
असर है भूख का ऐसा, कटोरा हाथ में आया।
सड़क पर भीख माँगता, तनय किसी का जाया।।
फटा है चीर तन नंगा, रिसे है पैर के छाले,
पकड़ के पेट को बैठा, सितम है भूख ने ढाया।
दुआएं लाख है देता, कभी पग हाथ से छूता।
मिले जाएं निवाले कुछ, भजन है राम का गाया।
नयन पीले पड़े उसके , कुपोषित गात भी रहता,
दवाई एक है उसकी, उदर भर भोज हो पाया ।
बढ़ी जब भूख की सीमा,दिखाई और क्या देगा,
यही है चाह बस उसकी,रहे पोषण भरी काया।
सीमा शर्मा