सजल…छंद शैलजा
अच्छे बच्चे- छंद शैलजा…
{२४ मात्राएँ .१६-८ पर यति,अंत- दीर्घ (गा)}
रोज सवेरे शाला जाते, अच्छे बच्चे।
सदा बड़ों को शीश नवाते, अच्छे बच्चे।
पढ़ते-लिखते नाम कमाते, आगे जाते,
मात-पिता का मान बढ़ाते, अच्छे बच्चे।
राह सभी आसान इन्हें हैं, सच पूछो तो,
मुश्किल देख नहीं घबराते, अच्छे बच्चे।
सदा मित्र का साथ निभाते, भार उठाते।
गल्प न कोरी कभी बनाते, अच्छे बच्चे।
छोटों का आदर्श बनें ये, शान बड़ों की,
साख न घर की दाँव लगाते, अच्छे बच्चे।
विनम्र भाव से नीची नजरें, रक्खें हर पल,
मंजिल पर बस नजर टिकाते, अच्छे बच्चे।
दीन-हीन को गले लगाते, आस बँधाते,
कभी काम से जी न चुराते, अच्छे बच्चे।
‘सीमा’ अपनी कभी न लाँघें, रहें संयमित।
अनुशासन सबको सिखलाते, अच्छे बच्चे।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र.)