सजना है मुझे सजना के लिये
ऐ चांद मेरे तुम आज जल्द से आ जाना,
सोलह श्रृंगार कर बैठी हूँ तुम आ जाना।
सजना है मुझे बस तेरे लिए सजना,
बेकरार दिल की प्यास बुझाने आ जाना।
तुम सामने बैठे तो मेरा श्रृंगार हो गया,
गगन में बैठे चाँद का दीदार हो गया।
चलनी में अपने खुबसूरत चाँद को देख-
सुहागन का जीवन निसार हो गया ।
तेरी प्रीत से सजना जलती मेरे दिल की जोत,
सजना है मुझे सजना के लिए आई करवा चौथ।
कर श्रंगार रह निराहार हर जन्म मे तुम को पाऊँ,
आस, विश्वास, सहनशीलता से आँगन महकाऊँ।
मांग में सिंदूर तेरे नाम का भर कर मै इठलाऊँ,
कान मे बाली, मंगलसूत्र, पैर मे पायल छनकाऊँ।
डॉ राजमती पोखरना सुराना