सच
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सच
(221-1222-221-1222)
—
हम भूल गये उसको कर याद न पाते हैं ।
ये कर्म हमारे ही दुख दर्द दिलाते हैं ।।
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क्या क्या न किया हमने कुछ याद नहीं हमको ।
जब कष्ट मिला हमको तो अश्क बहाते हैं ।।
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पूरे न किये हमने सब भूल गये वादे ।
जब पीर उठी तड़फे तब नैन झुकाते हैं ।।
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भर कोष लिये हमने गठरी न उठे भारी ।
जो कर्म किये हमने वे कर्म सताते हैं ।।
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माया न किसी की है बस एक खुदा मालिक ।
है राम वही कृष्णा सब ग्रन्थ बताते हैं ।।
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अब छोड़ इसे पगले कुछ भी न बना बिगड़ा ।
कर याद सदा उसको जो ईश कहाते हैं ।।
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महेश जैन ‘ज्योति’ ,
मथुरा ।
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