सच सुनने की कुव्वत है
चलो माना कि तुम्हे हमसे मोहब्बत है
मगर ज़माने से टकराने की जुर्रत है
हम वादा कर भी लें आने का लेकिन
क्या तुम्हें हमसे मिलने की फुर्सत है
मैं सच कहने की हिम्मत कर तो लूं “अर्श”
क्या तुम में सच सुनने की कुव्वत है
चलो माना कि तुम्हे हमसे मोहब्बत है
मगर ज़माने से टकराने की जुर्रत है
हम वादा कर भी लें आने का लेकिन
क्या तुम्हें हमसे मिलने की फुर्सत है
मैं सच कहने की हिम्मत कर तो लूं “अर्श”
क्या तुम में सच सुनने की कुव्वत है