सच या दिखाबा
युवराज गौतम, उत्तर प्रदेश अलीगढ़ । लेख ।
मेरा एक दोस्त है ।आज उसके लिए कुछ लिखा है मैंने
ब्रेकअप हुआ था उसका लेकिन अब उसने moov on करके जॉब लगाई है
●● कौन कहता है रिश्ता खत्म होने से दोनों का दिल टूट जाता है
कोई खुश रहने का दिखाबा करता है तो कोई इतना ख़ुश होता है कि उसने दुनिया की सारी खुशी को पा लिया हो
जब उदास होता हु तो इंस्टाग्राम पर उसके पोस्ट देखता हूं। उसका दोस्तो के साथ घूमना पार्टियां करना पोज़ बना कर फ़ोटो उपलोड करना लगता है बो पहले से ज्यादा खुश है
उसका ये कहकर जाना कि में तुमसे दूर नही होना चाहती फिर भी मजबूरी है / एक मजबूरी का नाम तो महात्मा गांधी है
लेकिन इस मजबूरी का कारण अभी तक पता नही चला
लेकिन ये बात तो है ये रिश्ता खत्म होने से हम दोनों बदल गए
उसका नया कॉलेज नए दोस्त नई जिंदगी
हा कुछ हद तक मे भी खुश ही हु पहले कुछ उधमी आवारा टाइप का लड़का अब नई जॉब कुछ पाने की इच्छा कुछ तलाश ओर कुछ मजबूरियां तो कुछ जिम्मेदारिया
और हा आज कल लोग ज्यादा ये बात बोलते है कि शक तुमने किया था गलती मेरी नही है
तो एक लाइन लिखी है मैने
●●शक के दायरे में लिप्त के एक से बड़ी एक मुहब्बत की मंजिल ढह गई
जनाब अगर शक करने वाले मुजरिम थे
तो बेगुनाह शक करवाने वाले भी नही थे●●