सच यह भी झुठला नहीं सकता !
बात दिल की बता नहीं सकता।
गीत भी गुनगुना नहीं सकता।
तुम तो ठहरे भंवरे के जैसे ;
गुलों के खिला नहीं सकता।
बाद मुद्दत के मिले हो तुम;
चाहकर भी तुम्हें पा नहीं सकता।
कैसे भूल पाऊंगा तुमको यूं;
पाकर तुम्हें गंवा नहीं सकता।
हर धड़कन तुम्हारी है सनम;
दिल को भी समझा नहीं सकता।
तुम्हें नहीं है ख्वाहिश हमारी;
सच यह भी झुठला नहीं सकता।
कामनी गुप्ता***
जम्मू !