सच बोलकर तो देखो
कुछ देर सांस रोक कर तो देखो
मौत के बारे में सोच कर तो देखो
किससे क्या क्या बोल रहे हो
अपने अल्फ़ाज़ तोल कर तो देखो
हर बात बताना ज़रूरी तो नहीं
कभी मन भी टटोलकर तो देखो
बेशक ख्वाब तुम्हारे सच होंगे
शर्त ये है कि आंखे खोलकर तो देखो
सच ज़रा भी कड़वा नहीं होता “अर्श”
तुम कभी सच बोलकर तो देखो