सच तुम बहुत लगती हो अच्छी
सच तुम बहुत लगती हो अच्छी।
दिल को पसंद है, तू हमको पसंद है।।
ये आपकी जुल्फें साया है मेरा।
दिल की पनाह है, हमको पसंद है।।
सच तुम बहुत————————।।
बैठी रहो तुम यूं ही सामने।
यह दिल हमारा चाहता यही है।।
करते रहो बातें मोहब्बत की तुम।
यह दिल हमारा कहता यही है।।
लबों तुम्हारी हंसी है हसीन।
खुश है दिल भी,हमको पसंद है।।
सच तुम बहुत——————।।
शर्माओ नहीं तुम हमसे ऐसे।
हमसे भी क्या यूं पर्दा करना।।
हम बेवफा तुमसे नहीं है।
मकसद नहीं तुमको बदनाम करना।।
माहताब जैसी हो खूबसूरत।
रोशन है दिल भी,हमको पसंद है।।
सच तुम बहुत——————–।।
मुलाकात अपनी ये टूटे नहीं।
रूठे नहीं यह दिल भी कभी।।
गुलजार हमेशा यह गुलशन रहे।
बुझे नहीं यह चिराग कभी।।
खुशी- ख्वाब हो तुम जिंदगी में।
दिल का हो अरमान,हमको पसंद है।।
सच तुम बहुत——————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)