सच-झुठ
सच-झुठ कि लडा़ई में हमेशा
झुठ ही जितता चला आ रहा हैं,
सच या तो शांती से सहता आ रहा हैं,
या फिर दफन हो गया है|
लोग कहतें हैं सच के रास्ते चलो……
जीत जरुर हासिल होगी,
लेकीन क्या सच में,
आखिर तक, जीत मिलती हैं?
सच बोलके दुसरों को नाराज करने से अच्छा,
शांती बनाये रखे,
क्यों की कुछ लोग झुठ बोलके दुसरोंका
मन जीत लेते हैं……
और सच बोलने वाला सच बोलके अपनोंसे
दुर हो जाता हैं……
रिश्ता चाहें जो भी हो,
रिश्तें में विश्वास जरुरी हैं,
सच-झुठ की परख जरुरी हैं…….
किसी दुसरें की कहाँ-सुनी पर अपनोंसे
मुँह फेर लेना…ये तो जिन्दगी नहीं……
सच्चे लोग अंदर ही अंदर घुटँते चले आ रहे हैं
और झुठे लोग शान से जीते चले आ रहे हैं,
आखिर कब तक,
सच सहता चला आएगा……कब तक……