सच जिंदा रहे(मुक्तक)
मुक्तक
तृण को तीर बना इस युद्ध में तुम दृढ़ रहो।
उठा लेखनी न्याय की ‘बाबा’ यह प्रण करो।।
सिर उठे तो सादगी का, हर पाप शर्मिंदा रहे।
झूठ के तुम पर कतर दो ताकि सच जिंदा रहे।।
#दुष्यन्त ‘बाबा’
मुक्तक
तृण को तीर बना इस युद्ध में तुम दृढ़ रहो।
उठा लेखनी न्याय की ‘बाबा’ यह प्रण करो।।
सिर उठे तो सादगी का, हर पाप शर्मिंदा रहे।
झूठ के तुम पर कतर दो ताकि सच जिंदा रहे।।
#दुष्यन्त ‘बाबा’