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9 Mar 2022 · 1 min read

सच जानते तो सब है

सच जानते तो सब है
पर कोई बोलता नहीं है
झुठ से नाराज़ तो है सब
खून किसी भी खोलता नहीं है
हासिल करना है सब
जो भी दिल चाहे
क्या खोया क्या पाया
कोई सोचता नहीं है
खंजर से भी तीखे होते है
जबान के घाव
बोलने से पहले शब्दों को
कोई तोलता नही है
बरसती तो रहती है
दिन रात रहमत की बूँदे
ठीक से आसमां को
कोई निचोड़ता नहीं है
घरो के बीच की दीवार
तो लाजिमी है मगर
दिलों के बीच की
दीवार को कोइ तोड़ता नहीं है

दीपाली कालरा

Language: Hindi
2 Likes · 258 Views
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