सच का सौदा
हमारा काम हल्का चल रहा है
तभी तो सच का सौदा चल रहा है
बुरे इतने भी दिन आए नहीं हैं
अभी तो साथ साया चल रहा है
मैं सारी दौलतों को पा चुका हूं
यह बेटा मेरे जैसा चल रहा है
यह आँखें राज़ सारे कह रही हैं
तुम्हारे ज़हन में क्या चल रहा है
ज़मीं भी राह उस की तक रही है
फलक से जो भी ऊंचा चल रहा है
कोई मंज़िल के पीछे दौड़ता है
किसी के साथ रस्ता चल रहा है
नई दिल्ली, नई लगती कहां है ?
सभी कुछ पहले जैसा चल रहा है
करिश्मा है यह मोबाइल का ‘अरशद’
हज़ारों में वह तन्हा चल रहा है
– अरशद रसूल बदायूंनी