सच का आइना
धोना है तो मन को धो लो क्या मिलेगा मंदिर में।
हर जर्रे में खुदा है रहता क्यों जाता है मस्जिद में।।
इंसा का ईमान है पहले हिंदू मुस्लिम बाद में।
एक नूर के सब हैं वंदे क्या रखा है जात में।।
बाहर क्या उजियारा ढूंढे बहुत अंधेरा अंदर में।,,,
बात विषैली मत बोलो जो घाव करेगी गहरे।।
एक विधान ही एक देश में ना मापदंड हों दोहरे।
मुट्ठी से बनती है ताकत कमजोर पड़ेगो अंतर में।।,,,
भाईचारा बना रहे ये हम सबकी जिम्मेदारी है।
आग लगाए पत्थर फेंके देश में ये गद्दारी है।।
आए गर उकसावे में तो लहू दिखेगा मंजर में।,,,,
तर्कों से जो परे है रहतीं वो दकियानूसी बातें हैं।।
देश में रहकर देश से धोखा गहरी बहुत ही चालें हैं।
सत्य अहिंसा उर में अपने क्या मिलेगा खंजर में।।,,,
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उमेश मेहरा