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23 Dec 2024 · 2 min read

सच कहता हूँ

लगी आग मे घी जो डाले,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।
फिर भी तुम को जो बचाले,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।।

थोड़ी पिटाई को और करा दे,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।
ज्यादा पिटाई से जो बचाले,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।।

फसी बात को और फसा दे,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।
फसो जहां पर और बचा ले,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।।

मिले विचार जिस विचित्र से,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।
मित्र के लिए ना कोई चरित्र हैं,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।।

बिन बोले जो लंका लगा दे,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।
मुंह पर तुम को बात सुना दे,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।।

पीठ के पीछे ढाल तुम्हारी,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।
साथ रहे तलवार तुम्हारी,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।।

करे प्यार तुम से मां जैसा,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।
स्नेह करे जो मां के जैसा,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।।

साथ रहे जो भाई के जैसा,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।
दिल मे बसता हरदम जैसे,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।।

बड़े प्रेम से जो समझाए,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।
ना माने तो लड़ भी जाये,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।।

गुस्सा करके जो दिखाए,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।
तुमसे पहले लड़ने आये,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।।

बिना कहे जो दर्द समझले,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।
तुमको पहले दर्द बताए,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।।

सुने प्रेम से सुझाव सही दे,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।
दर्द कहे ना किसी से तेरे,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।।

राज को अपने अन्दर धरले,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।
अपने दिल मे जगह जो देता,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।।

सुने नही कोई बात तुम्हारी,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।
हर लफडे मे साथ तुम्हारे,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।।

तुम्हारे फटे मे पैर फंसाये,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।
बिना डरे जो साथ हैं रहता,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।।

करले तुमसे बात जो दिल की,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।
अपने हृदय का हाल जो कहता,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।।

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