सच कहता हूँ
लगी आग मे घी जो डाले,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।
फिर भी तुम को जो बचाले,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।।
थोड़ी पिटाई को और करा दे,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।
ज्यादा पिटाई से जो बचाले,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।।
फसी बात को और फसा दे,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।
फसो जहां पर और बचा ले,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।।
मिले विचार जिस विचित्र से,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।
मित्र के लिए ना कोई चरित्र हैं,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।।
बिन बोले जो लंका लगा दे,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।
मुंह पर तुम को बात सुना दे,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।।
पीठ के पीछे ढाल तुम्हारी,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।
साथ रहे तलवार तुम्हारी,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।।
करे प्यार तुम से मां जैसा,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।
स्नेह करे जो मां के जैसा,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।।
साथ रहे जो भाई के जैसा,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।
दिल मे बसता हरदम जैसे,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।।
बड़े प्रेम से जो समझाए,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।
ना माने तो लड़ भी जाये,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।।
गुस्सा करके जो दिखाए,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।
तुमसे पहले लड़ने आये,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।।
बिना कहे जो दर्द समझले,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।
तुमको पहले दर्द बताए,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।।
सुने प्रेम से सुझाव सही दे,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।
दर्द कहे ना किसी से तेरे,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।।
राज को अपने अन्दर धरले,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।
अपने दिल मे जगह जो देता,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।।
सुने नही कोई बात तुम्हारी,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।
हर लफडे मे साथ तुम्हारे,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।।
तुम्हारे फटे मे पैर फंसाये,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।
बिना डरे जो साथ हैं रहता,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।।
करले तुमसे बात जो दिल की,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।
अपने हृदय का हाल जो कहता,
सच कहता हूँ मित्र वही हैं ।।