सच और झूठ,
झूठ फैलता है तो सच दरकिनार हुआ,
बोलिये पर झूठ कितना गुलज़ार हुआ,
उम्र कितनी होती है इस फरेबानी की,
सच उभरा सच में तो झूठ परेशान हुआ,
कितने धरती पे आकर उपकार किया,
कितने ऐसे जो झूठ की हद पार किया,
कहानी वो पक्की इतिहास बना करती है,
झूठ वही जिसको हरिश्चंद्र ने मार दिया,