सच्चे रिश्ते वही होते है जहा साथ खड़े रहने का
सच्चे रिश्ते वही होते है जहा साथ खड़े रहने का
जसबा और हर वक्त हर हालात में साथ बिना बहाने के जुड़े रहने की जिद्द हो।
फिर रिश्ता किसी भी मेहकन का हो,दोस्तो प्रेम परिवार या कुछ भी। बस वही सच्चा रिश्ता है,
वरना भीड़ को अलग अलग रिश्ता के नाम की कितनी लगी है
कोई दोस्त कहता, कोई भाई, कोई अपना कहता, कोई प्रेमी
कोई परिवार कहता, पर जिद्द और जस्बा सच्चे रिश्ते ही दिखाते और रखते है खड़े रहनेका वक्त और हालात में।
बाकी तो बस बहाने और बातूनी हलवे फेला रहे है रिश्ते के नाम पर ।