सच्चे कवि,सच्चे लेखक
सच्चे कवि,सच्चे लेखक
अपमान नही सह सकते हैं
जिनको सुनने की चाव नहीं
वो कैसे चुप रह सकतें है
कवि मित्रों के रहते रहते-जो
साहित्य अनदेखा कर डाली
वो शब्द मेरे हृदय में चुभता
जो भाषा मिश्रण कर डाली
राजनीति के सभी योद्धा गण
मान अपमान को सहते हैं
सच्चे कवि सच्चे लेखक गण
सत्य बात को ही कहते हैं
सत्य हमारी पुंजी है,सत्य बात ही करते हैं
सत्य बात लिखने से ,न कवि गण डरते हैं।
जान सको तो जान लो,
कलम लेख की है यह ताक़त
वेद पुराण, कुरान , बाइबिल,,
जन जन रहते है बासत
जिस ओर बहे धार नदी का
उस दिशा में बहते जाते हैं
निडर होकर जो लेख लिखें
वो ही सच्चा कवि कहाते है
रचनाकार
डां, विजय कुमार कन्नौजे
अमोदी आरंग ज़िला रायपुर छ ग