सच्चा सुख कैसे मिले
सच्चा सुख कैसे मिले
1
सुख को हम सब चाहते , रहे सर्वदा संग
जिसको पाने का गलत , अपनाते हैं ढंग
अपनाते हैं ढंग , अन्य को दुख पहुँचाते
औरों का सुख चैन,देखकर हम पछताते
जब तक हमें न कष्ट ,देख होगा पर दुख को
तब तक हम भी भोग,नहीं सकते हैं सुख को
2
जब तक मिट सकता नहीं, मन से मन का भेद
तब तक अपने हृदय का , नहीं मिटेगा खेद
नही मिटेगा खेद , कष्ट औरों को देकर
या अपने हित हेतु , हर्ष पर जन का लेकर
सुख है कोसों दूर , सोच लेना नर तब तक
औरों का दुख देख , न बाटें मिलकर जब तक
3
अपने ग्रंथ पढ़ें , सुने , हिंदू वेद पुराण
वही सत्य इस्लाम भी , देखें खोल कुरान
देखें खोल कुरान , वही गुरु ग्रंथ उचारे
जितने आए संत , आज तक यही पुँकारे
जो नर तू निज हेतु , देखते सुख के सपने
पर दुख ले तू बाँट , काट जैसे हो अपने
4
मन सोचो किस काल में , कभी न आई रात
या बस रजनी ही रही , पुनः न आया प्रात
पुनः न आया प्रात , बात यह सही नहीं है
जहाँ निशा हम देख , रहे फिर दिवस वहीं है
कृष्ण, शुक्ल दो पक्ष , रैन का भी है जीवन
लाभ-हानि तू एक , समझ सुख पाओगे मन
5
जिसका देना काम है , जन-जन को सम्मान
सुख ने उसके हृदय में , बना लिया स्थान
बना लिया स्थान , वहाँ भी रहता हरदम
जन सेवा का भाव , न जिनके उर में है कम
और एक स्थान , बहुत प्यारा है उसका
जग को निज परिवार , समझता उर है जिसका