# सच्चा प्रेम
एक छोटा सा शब्द होता है, प्रेम,
प्रेम जताया नहीं जाता, बस हो जाता है,
जाने वोह, हमें किस मोड़ पर ले जाता है,
उम्र और जात पूछकर, नहीं किया जाता प्रेम,
दो दिलों का संगम है, प्रेम,
क्यों खाते हैं, जीने – मरने की कस्में,
ये प्रेम नहीं है, किसी के बस में,
ये प्रेम है, नहीं है कोई करार,
फिर भी क्यों रहता है, ये दिल बेकरार,
सिर्फ ‘आई लव यू ‘ कह देने से, नहीं जताया जाता प्रेम,
आत्मसमर्पण मांगता है, सच्चा प्रेम,
गुड्डे – गुड़िया का, नहीं है खेल,
ये है, सिर्फ दो दिलों का मेल,
तुझसे में प्रेम, इस कदर करता हूँ,
हिचकियां तुम्हें आती है, और पानी मैं पीता हूँ।
©अंकित अग्रवाल
इंदौर (म.प्र.)