सच्चा प्यार
किसी को कैद कर लेना
मोहब्बत की सलाखों में
उसे ये ताड़ना देना,
कि तुम हो मेरी चाहो में
परखना उसकी हर एक बात में
गुम हो कहीं ,तुम हो कहीं
नहीं पाया अगर खुदको
उसे उलाहना देना
इसे तुम प्यार फिर समझो
मुझे स्वीकार नहीं है
जो चाहे नाम इसको दो
ये सच्चा प्यार नहीं है!!
नहीं हक कैद कर लो तुम
उड़ाने एक परिंदे की
मिटा दो भूख सपनों की
ख़यालो की बुलंदी की
पिलाकर प्रेम की मदिरा
उसे लाचार तुम कर दो
दिखाकर आसरा फिर यूं
उसे बर्बाद तुम करदो
ये मीठी मृत्यु है
ऐसा प्रणय त्योहार नहीं है
जो चाहे नाम इसको दो
ये सच्चा प्यार नहीं है!!
चाहत है अगर पावन
तो शर्तें हो नहीं सकती
किसी से छीनकर सबकुछ
मोहब्बत हो नहीं सकती
दिखा के रौब हक का
हक कोई भी पा नहीं पाया
भरा हो खौफ जिस दिल में
जहां संदेह है छाया
जबरदस्ती की बस्ती का
कोई हकदार नहीं है
जो चाहे नाम इसको दो
ये सच्चा प्यार नहीं है!!