सच्चा इन्सान
दीनबन्धु बन कर दीनों को दान दिया
है परम् प्रसन्नता ये ही
गैरों को प्यार दिया।
अपने को तो सब
अपने अपने मिल जाते हैं
गैरों को जो अपनेपन से
अपनाये वो ही सच्चा इंसान कहाये।
देख पराये दुख को
जिसके अश्क़ छलक जाएं
ऐसा दिल वाला ही असली में
सच्चा इंसान कहाये।
भूखे बदहाल विक्षिप्त
भटक रहे जो राहों में
ऐसे लोगों को जब
कोई सहारा बन जाये
तो वो ही सच्चा इंसान कहाये।
निरीह प्राणियों के हित में
जो मानव जीवन जारे।
जैसे तैसे उनको भोजन
और सुरक्षा का
निःस्वार्थ भाव से
जो प्रबन्ध करवाये
तो वो ही सच्चा इंसान कहाये।