सच्चाई का स्वाद
चाहे जितना डालिये, कविवर मिश्री खाद !
लगे कसैला जीभ को,. सच्चाई का स्वाद !!
रहे क्रोध से फासला, उपजे नही गुमान !
मातु शारदा दीजिए, कुछ ऐसा वरदान ! !
रमेश शर्मा
चाहे जितना डालिये, कविवर मिश्री खाद !
लगे कसैला जीभ को,. सच्चाई का स्वाद !!
रहे क्रोध से फासला, उपजे नही गुमान !
मातु शारदा दीजिए, कुछ ऐसा वरदान ! !
रमेश शर्मा