सचिन के दोहे
मन को निर्मल राखिए, ले ईश्वर का नाम।
चन्दन जस जीवन लगे, नहीं इत्र का काम।।
सरल सहज बन कर रहें, दें सबको सम्मान।
इष्ट मित्र से आपको, तभी मिलेगा मान।।
चंचल मन के बात का, कहना कभी न मान।
बिन सोंचे जो भी करे, होता है बस हान।।
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पं.संजीव शुक्ल “सचिन”